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    भारतीय सांकेतिक भाषा व्याख्या में डिप्लोमा


    उद्देश्य

    • विभिन्न जीवन-स्थितियों में बधिर और कम सुनने वाले व्यक्तियों को संप्रेषणीय सहायता प्रदान करने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) व्याख्याताओं को प्रशिक्षित करना।
    • बधिर संस्कृति और समाज को समझना एवं भारतीय सांकेतिक भाषा की संरचना और उपयोग का अध्ययन करना।
    • ISL व्याख्या से संबंधित सिद्धांतों और नैतिकताओं की समझ को बढ़ाना।

    पाठ्यक्रम का क्षेत्र

    एक भारतीय सांकेतिक भाषा व्याख्याता विभिन्न परिस्थितियों जैसे कार्यालय बैठकों, न्यायालय, राजनीतिक भाषणों या व्यक्तिगत बातचीत में बधिर व्यक्तियों को संप्रेषणीय सहायता प्रदान करता है। वे प्रौद्योगिकी के माध्यम से दूरस्थ रूप से भी व्याख्या कर सकते हैं।

    एक व्याख्याता को विषय की जानकारी होनी चाहिए ताकि वह उसे ISL में सटीक रूप से अनुवाद कर सके। इस भूमिका में श्रवण क्षमता, सांकेतिक भाषा का ज्ञान, और संचार कौशल जरूरी हैं। तकनीकी या जटिल विषयों के लिए उन्हें पूर्व शोध करने की आवश्यकता हो सकती है। एक अच्छी स्मरण शक्ति भी आवश्यक है ताकि वह बोले गए शब्दों को ठीक से याद रख सके।

    पात्रता

    12वीं पास, न्यूनतम 50% अंकों के साथ

    न्यूनतम आयु

    17 वर्ष

    कोर्स शुल्क

    ₹20,000 (दिव्यांगजन और उनके माता-पिता के लिए निःशुल्क)

    कोर्स की अवधि

    2 वर्ष